आँखों की रोशनी गई, तो आवाज़ से पाया मुकाम
इंसान जब ठान ले तो कोई भी मुकाम पा सकता है। और हम बिहारी लोग तो ठानने में माहिरे हैं। ऐसे हीं हैं हमारे भागलपुर के अभिज्ञान, जिन्होंने आँख की रौशनी चले जाने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी।
शहर के आदमपुर मोहल्ला के 15 वर्षीय अभिज्ञान गांधी गीतेय की जब आठ महीने के उम्र में ब्रेन ट्यूमर की वजह से आंखों की रोशनी चली गई तो परिवार वाले चिंतित हो गए कि अब इस बच्चे का भविष्य क्या होगा। लेकिन अपनी लगन के बल पर अभिज्ञान ने संगीत के क्षेत्र में मुकाम हासिल कर लिया।
- आठ-दस साल की उम्र में वह आकाशवाणी भागलपुर के संगीत कलाकारों के संपर्क में आ गया।
शास्त्रीय गायक पंडित राम प्रकाश मिश्रा से पा रहे तालीम
- अभिज्ञान ने संगीत साधना के साथ-साथ स्कूली पढ़ाई भी जारी रखी। इसी साल एनआईओएस से उसने प्रथम श्रेणी से मैट्रिक परीक्षा भी पास की।
शहर के आदमपुर मोहल्ला के 15 वर्षीय अभिज्ञान गांधी गीतेय की जब आठ महीने के उम्र में ब्रेन ट्यूमर की वजह से आंखों की रोशनी चली गई तो परिवार वाले चिंतित हो गए कि अब इस बच्चे का भविष्य क्या होगा। लेकिन अपनी लगन के बल पर अभिज्ञान ने संगीत के क्षेत्र में मुकाम हासिल कर लिया।
- आंख की रोशनी चली गयी तो क्या हुआ उन्होंने अपनी आवाज को जीने का मकसद बना लिया।
- ब्रेल लिपि की मदद से शिक्षा ग्रहण करना शुरू किया। मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की।
- 10 जुलाई को उसने लखनऊ में आस्था चैनल पर आने वाले रियल्टी शो भजन रत्न का ऑडिशन टेस्ट पास कर लिया।
- उसे ऋषिकेश व मुंबई में फाइनल ऑडिशन के लिए बुलाया गया है।
ब्रेन ट्यूमर ने छीन ली रोशनी
- अभिज्ञान के पिता शिक्षाविद कौशल किशोर सिंह ने बताया कि वह सात-आठ महीने में आम बच्चों की तरह सबकुछ देख सकता था।
- किसी भी इशारे को बखूबी समझता था व प्रतिक्रिया देता था। करीब आठ महीने बाद पता चला कि उसे ब्रेन ट्यूमर है।
- नई दिल्ली स्थित एम्स में उसके मस्तिष्क का ऑपरेशन किया गया। ट्यूमर निकल गया, जान बच गई।
- लेकिन आंखों से ब्रेन तक की नली में ही ट्यूमर होने की वजह से आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गयी।
- घर से सभी लोग उदास थे कि अब इसके करिअर का क्या होगा।
- एक दिन उन्होंने देखा कि टेप रिकार्डर पर जब गदर फिल्म का गाना बज रहा था तो वह हाथ से कुछ बजाने का प्रयास कर रह था।
- फिर चार-पांच साल के बाद वह गाना भी लयबद्ध होकर गाने लगा। उन्होंने इसका जिक्र स्कूल में संगीत शिक्षक रुद्रनाथ जी से किया।
- उन्होंने जब अभिज्ञान की आवाज सुनी तो उसे संगीत सिखाना शरू किया।
- जल्द ही अभिज्ञान ने बड़ा ख्याल, छोटा ख्याल, तराना, दादरा, राग दरबारी, विहाग, माल कोश आदि शास्त्रीय संगीत के कई रूपों पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली।
आकाशवाणी के कलाकारों का भी मिला सहारा
- आठ-दस साल की उम्र में वह आकाशवाणी भागलपुर के संगीत कलाकारों के संपर्क में आ गया।
- आकाशवाणी में नए वाद्य यंत्रों के संगीत पर सुर-ताल का संगत करने लगे।
- वहां सितार वादक राजेश मिश्रा, गोपाल कृष्ण मिश्रा, अनुमेत मिश्रा, त्रिलोक प्रियदर्शी, जीत आचार्य के संपर्क में संगीत की विधाओं को सीखा।
शास्त्रीय गायक पंडित राम प्रकाश मिश्रा से पा रहे तालीम
- अभिज्ञान ने संगीत साधना के साथ-साथ स्कूली पढ़ाई भी जारी रखी। इसी साल एनआईओएस से उसने प्रथम श्रेणी से मैट्रिक परीक्षा भी पास की।
- कला केंद्र से संगीत में इंटर की पढ़ाई उनकी जारी है। चंडीगढ़ से संगीत भास्कर की पढ़ाई भी कर रहा है।
- अभिज्ञान ने बताया कि अभी उसकी तालीम जारी है। वह बिहार के प्रख्यात शास्त्रीय गायक छपरा निवासी पंडित राम प्रकाश मिश्रा से प्रशिक्षण ले रहा है।
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