news

[news][bleft]

Entertainment

[Entertainment][bsummary]

#BetiBachao Aandolan : कितने सक्रिय हम और आप?


इसी महीने वैशाली के अनवरपुर गांव की एक एसिड विक्टिम किशोरी ने बिजली का नंगा तार पकड़ कर जान दे दी। उस पर तेजाब फेकने के आरोपियों को जमानत मिल गयी थी और उसे और उसके घर वालों को लगातार धमकियाँ देते थे कि जिन्दा नहीं छोड़ेंगे, बर्बाद कर देंगे। पुलिस से इन लफंगों का जमानत ख़ारिज करने की अपील की गयी मगर पुलिस ने ध्यान नहीं दिया। लगातार तनाव भर जीवन जीते-जीते वह थक गयी और बड़े क्रूर तरीके से उसने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। हममें से कई लोग को उसके दुनिया छोड़ देने की खबर भी नहीं मिली होगी, क्योंकि यह राष्ट्रीय क्या प्रांतीय महत्व की खबर भी नहीं बन पाए। क्योंकि वह दिल्ली से नहीं थी और उसे अच्छी चिट्ठी लिखना नहीं आता था और उसकी खुदकुशी को किसी बड़े नेता के गले में बांधे जाने की गुन्जायिश कम थी। हालाँकि एसिड विक्टिम लड़कियों की रोल मॉडल लक्ष्मी ने जरूर बिहार के सीएम् के नाम एक चिट्ठी लिखी। मगर वह हमारे अख़बार में छप कर रह गयी।

मनेर की चंचल पासवान जो एक और एसिड विक्टिम है, पिछले साल उसके मुकदमे का बड़ा महत्वपूर्ण फैसला आया है। अब एसिड विक्टिम को दिव्यांग की श्रेणी में रखना है। विक्टिम किसी भी सरकारी या निजी अस्पताल पहुँच जाये तो उसका वहां मुफ्त इलाज होना चाहिए। और एसिड विक्टिम को बर्न परसेंटेज के हिसाब से मुआवजा मिलना चाहिए। जैसे 28 परसेंट जली हुई चंचल को 10 लाख का मुआवजा मिला। हालाँकि इस उपलब्धि के बावजूद चंचल का जीवन आसान नहीं हुआ। उसके आरोपी भी जमानत पर आजाद हैं। उसके घर के सामने खड़े होकर उसका मजाक उड़ाते हैं। उसे सपरिवार मोहल्ला छोड़ देने कहते हैं। उसके बारे में मोहल्ले में फैला दिया गया है कि वह अपने जख्मों का धंधा करती है। लोगों से सहानुभूति बटोरती है और पैसे कमाती है। उसके परिवार का मोहल्ले वालों ने अघोषित बायकाट कर रखा है। जबकि एक आरोपी की पिछले दिनों धूमधाम से शादी हुई और पूरा मोहल्ला उसमें शामिल हुआ। इसके बावजूद चंचल डटी हुई है। उसने इस बीच बीए पार्ट वन की परीक्षा भी पास की है। हालाँकि इतनी हिम्मत दिखाने के बावजूद वह न रोल मॉडल बनी है न सिलेब्रिटी। क्योंकि वह दिल्ली में नहीं रहती।

ऐसी ही कई लड़कियां हैं, जिनके ह्रदय विदारक किस्से हैं। रोचक है कि हर किस्से में आरोपी जमानत पर छूट गया है और इन पीड़ितों और उनके परिवार वालों को धमकाता और परेशान करता रहता है। समाज के लोग इन पीड़ितों का ही बहिष्कार कर देते हैं, क्योंकि समाज को बस जख्म देना आता है, जख्म देखने में घबराहट होती है। तो किस्सा यह है कि पीड़ित घरों में बंद है, आरोपी बाहर घूम का हंगामा मचा रहे हैं और पुलिस प्रशासन कान में तेल डाल कर सो रहा है। सन्डे की सुबह अगर आपको ऐसी भयावह स्टोरी पढ़ने से परेशानी न हो तो पढ़ सकते हैं। क्लिपिंग आसानी से पढ़ा जा सकता है।

Post A Comment
  • Blogger Comment using Blogger
  • Facebook Comment using Facebook
  • Disqus Comment using Disqus

No comments :


Youth Icon

[Youth Icon][threecolumns]

Travel

[Travel][list]

Facts

[Facts][grids]