आज का क्लास:" ...चोरी तो नहीं की है..." वाली मस्ती गयी तेल लेने- ई बिहार है!!!
...चोरी तो नहीं की है, थोड़ी सी जो...
जो भी बकैती हुआ हो पर याद रखना की अब झूमना मन है।
सामने वला चचा दारोगा हैं, हलको सुन लिए न तो फिर सुने लायक ना छोड़ेंगे।
कुछ पते नहीं है! भीतर जाओगे न और जब बिना नशा वला फ़ीट फ़ीट भर का डंडा बरसेगा और उसके बाद जो प्रोसेसिंग वला नशा तैयार होगा, वही बिहार है...
शोख़िओ में घोल जाए... या फिर ... नशा शराब में होती तो... गाते रहिएगा! केतनो दलील दे दीजिएगा कि माइ बाप! शराबी के अमिताभ जी को ऐसे ना इग्नोर मारो लेकिन कुछ ना होगा।पूर्ण शराब बंदी है बिहार में, हाफ नहीं साफ़ नशा टटोल बंद। नाम लेना भी गुनाह है।
इंहा ले सुनने में आया है कि नशीले गीत, गजल, कविता, फिल्म-नाटक सबका मुख-कान-नाक-आँख और दिमाग से सेवन करना भी यंहा दंडनीय और माननीय अपराध है।
इसलिए बता रहे हैं कि कंही अगर दिख जाए लाल लाल नैन तो चार आठ करने से पहले नौ दू ग्यारह हो लेना।
पहिले भी बताए थे हम की लिमिट में रहो, लिमिट पार किए की एक रात भी नहीं लगेगा और जनरल गदाफी की तरह नेस्तनाबूद कर दिए जाओगे।
अब बात तो मानोगे नहीं तुम आज के लौंडे। इतना ना कांड किया कि करा दिया विदाई अमृत जल का बिहार से और कर दिया बर्बाद सारा रसपान करे वाला लोग का जिनगी।भेजा में मतलब कुछ है ही नहीं न तुमलोगो का।
वैसे भी गलती तुम्हारा भी नहीं है, सब उनका देन है। अब भुगतो!!
अब का करोगे, देख लो गठबंधन वाले भाई लोग को, जंहा से नशा उत्पन्न हो रहा है वही से तुम भी कर लो। अब दू तीन गो को टपका के ऊर्जा मिल रहा है तो का बुराई है। रोके भी कौन, किसको हेतना फुर्सत है?
सबको अपना अपना नशा का फ़िक्र लगा हुआ है, इसलिए तो चुप थे लेकिन अब पानी न सर से ज्यादा हो रहा है।ना बचोगे तुमलोग और ना वो लोग, अपना पे आ गए ना तो रोकेंगे कम और ठोकेंगे ज्यादा। समझा दो अपने साहब को और तुम भी समझ लो की जो सियापा और रायता तुमलोग फैला रहे हो उसमे तुम ही सड़ोगे।
अब चचा अपने ठहरे जानकार बता रहे थे कि चर्च के फादर को नशा नहीं होता है। पता ना कवन केमिकल लोचा है। बंटी कह रहा था जो भी है सही है हम भी धार्मिक प्रवृत्ति के ही है, तो हम भी एही लाईन में घुस जाते हैं। इंग्लिशे तो जानने भर का देर है। बाकी तो अपना लार्ड कर देगा।
लगे हुए हो बुरबक की तरह सब अपने अपने नशे में जैसे हमको कुछ पते नहीं है। रोज तुम्हारे अइसन केतना केतना का रामायण महाभारत करवा देते है एक्के क्लास में।
किसी को धन-बल का, किसी को जन-बल का!किसी को सत्ता सियासत का तो किसी को देश आउर पंचायत का!किसी को चेहरे पे हंसी का, किसी को सुन्दर प्रेयशी का!और ई सब नशा के धुन में तुम लकग क्या क्या गलत सही कर ले रहे हो। ऊपर से ई भी कहे जा रहे हो कि नशाबंदी वला 'एक्ट' ई फील्ड से बाहर है।
अरे! एक ठो नशा तो हम भूलिए गये थे। लगता है हमरो बोले वला नशा धर लिया है। रोज दू तीन चमाट लगाए बिना सुकून नहीं मिलता है न।.. खैर, ई जो घूस वला नशा है न उससे बचिएगा बौआ लोग। ई नशा जो है न पूछिए मत पेट में आ जाता है, दिमाग न्यूट्रल रहता है।
ईहे नशा का कमाल है की रोज बैंक लूटा जा रहा है आजकल।
और तुमलोग हो की मानिए ना रहे हो, भाई सच में बिहार में शराबबंदी है।
अब लीजिए बगल में कोई गा रहा है कि "थोड़ी थोड़ी पिया करो, पियो लेकिन रखो हिसाब..." तो ई पाहिले समझना चाहिए था न। बात तो वैसे सही ही है। थोड़ी थोड़ी गटकने से सेहत भी मस्त और सामजिक व्यवस्था भी टंच। लेकिन सवाल यह है कि, थोडी या ज्यादा पीना है यंहा मना।
हमरा तो एक्के उपदेश रहा है, नशेड़ी गंजेड़ी लोग से कुछ होने वाला है न तो थोड़ा भी कहे 'पेरमिस्सेबुल' रहेगा। जो भी है, सहिए है।
बस इतने बात है कि अब भी कम से कम ई नशा वला अपने करैक्टर से बाहर निकलो। इतना कुछ ही रहा है बाहर। बिहार में बहार की बातें हो रही है। और ई बहार जो है न तुम्हारे घर में बैठ के 'डेवलपमेंट और जंगलराज' का रोना रोने से तो बिलकुल ना आने वाला है। सुधार जाओ टाइम है। तुम्हारा भी नाम हो जाएगा लगे हाँथ।ना त गाते रहोगे जिनगी भर उहे बरसात वला राग हर सावन में।"भरी बरसात के मौसम में, तन्हाई के आलम में..."
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(आल द इमेजेज आर प्रॉपर्टी ऑफ़ देअर ओनर। we owe our thanks)
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