खुशखबरी रेलगाड़ी से - अब मिलेगा पेट के साथ तशरीफ़ को भी आराम
लो भइया आ गई खुशखबरी!! और इस बार ये खुशखबरी आई है हमारी, आपकी और सबकी छुक छुक रेलगाड़ी से।
तो इस बार रेलवे बोर्ड ने यात्रियों के सुविधा के लिए नए कोच बनाने का निर्णय लिया है। सबसे बड़ी ख़ुशी की बात तो उनलोगो के लिए है जिनको ट्रैन के डब्बे में ही सबसे ज्यादा टॉयलेट जाना होता है। अब इन लोग को अपने सीट पर से ही पता लग जायेगा कि उनके कोच का टॉयलेट खाली है या भरा हुआ।
कुछ ट्रेनों में ये सुविधा पहले ही है लेकिन इसके लिए भी आपको सीट से उठ के देखना पड़ता था कोच के गेट के ऊपर लगे दो भुकभुकिया लाइट्स को जो कि जब लाल रहे तो टॉयलेट में जरूर कोई अपना पेट खाली कर रहा होगा और यदि यह हरा रहे तो मतलब आप खाली कर सकते हैं।
पर अब ये सुविधा आपको अपने बर्थ पर ही मिल जाएगी। रेलवे बोर्ड ने नए कोच में ये भुकभकिया लाइट्स आपके बर्थ के पास ही लगाने का निर्णय लिया है। जिससे आपको पता लग जायेगा की अपना पेट खाली करने के लिए अपने बर्थ से उठे या सुते रहे और लाइट का हरा होने के इंतजार में पेट को थोड़ा और सहलाए।
अब हम सबको पता है आजकल ट्रैन का कन्फर्म टिकट मिलना जैसे प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज से अच्छी नौकरी मिलना। भइया ये मिल जाये तो इंसान को जन्नत वाला सुख मिलता है, नहीं तो घर के साथ साथ बाहर वालों के ताने भी। मजे की बात तो ये है दोनों के लिए आपको सोर्स लगाना ही पड़ता है। और दोनों ना मिलने पर एक विकल्प जरूर है, कन्फर्म टिकट नहीं मिलने पर या तो अपनी यात्रा अगले दिन के लिए बढ़ा दीजिये और नौकरी नहीं मिलने पर अगली कंपनी की ओर बढ़ जाइये। लेकिन कबतक बढ़ाईएगा, एक दिन तो यात्रा करनी ही है और एक दिन नौकरी भी ( अब ज्यादा पैसे हैं तो फ्लाइट से चले जाइएगा और हमारे इंजीनियरिंग के छात्र लोग स्टार्ट उप खोल लेंगे), सो ट्रैन में कन्फर्म टिकट नहीं मिलने पर आप जायेंगे जनरल से और सही नौकरी नहीं मिलने पर कही 5000 रूपए वाली नौकरी पर।
अब नौकरी का तो पता नहीं, पर जनरल वालो के लिए रेलवे बोर्ड ने सोचा जरूर है। जनरल में आप कभी गए होंगे (कभी न कभी तो गए ही होंगे, और यदि नहीं गए तो भइया आप सच्चे रेलवे पैसेंजर नहीं हैं)। अरे मरदे जिंदगी में सब कुछ का मजा लेना चाहिए तो जनरल को काहे छोड़ दिया जाए, उसका भी एक बार मजा लीजिए। तो हाँ, अब रेलवे बोर्ड ने जनरल वालों के लिए ऊपर वाली बर्थ जो कि सामान रखने के लिहाज से बनाया गया था पर लोग तो दो सीट के बीच में चाद्दर बांध के सोते हैं तो ई ऊपर वाला बर्थ आपको लगता है कि खाली छोड़ देते होंगे सामान रखने के लिए। उसपे भी लोग बैठते हैं( सोने का सोच रहें हैं, तो आपको जरूर एक बार जनरल में चढ़ना पड़ेगा) और रेलवे बोर्ड ने आपकी तशरीफ़ को थोड़ा आराम देने के लिए ऊपर वाले बर्थ पर भी गद्दा लगने का निर्णय लिया है।
बस एक ही रिक्वेस्ट है आपलोग से कि तनिक साफ़ रखने का कोशिश कीजियेगा ट्रैनवो को, काहे कि लिखल तो रहता है कि ट्रैन आपकी संपत्ति है पर अपनी संपत्ति जैसा ख्याल आपलोग नहीं रखते। तनिक मूंगफली फोड़ के छिलकवा उसी कागज में रख लीजिए नहीं तो एक एक्स्ट्रा कागज मांग लीजिए उसी मूंगफली वाले से। सब छोडिए न्यूज़पेपर तो होगा हीं, उसी में बांध लीजिए और कहीं कूड़ेदान में डाल दीजिएगा (अब न्यूज़पेपर रखना हो तो आपकी मर्जी है)। इससे ट्रैन भी साफ़ रहेगी और रात में जो लोग नीचे सोते हैं उनलोग को भी कचरा नहीं मिलेगा। अब नीचे सोने वाले का, का करियेगा, घर तो जाना ही है सबको, टिकट कन्फर्म नहीं मिला और जनरल में भी खड़े होने का जगह नहीं मिले तो नीचे सोना मज़बूरी बन जाता है, काहे की हमरे चच्चा का कहना है जब संपत्ति अपने है तो पूरा उपयोग किया जाए।
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