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अब चुनिए अपने चॉइस का करियर, सरकार रखेगी हर विद्यार्थी पर नजर


राज्य के विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों की हर गतिविधि पर नजर रखी जाएगी। इसके लिए विद्यार्थियों के संपर्क में सरकार रहेगी। उनकी पसंद के विषयों को चुनने की आजादी के लिए पहले ही सरकार च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम को लागू करने की तैयारी कर रही है। वहीं, कॉलेजों में बच्चों को हर प्रकार की पढ़ाई के साथ-साथ उनकी पसंद के स्किल में ट्रेंड करने की योजना पर भी काम किया जा रहा है। सरकार ने विद्यार्थियों की हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (यूएमआईएस) को लागू करने की योजना तैयार की है।
सरकार शैक्षणिक गुणवत्ता के तमाम अवरोधों को दूर करने की तैयारी में है। विश्वविद्यालय स्तर पर यूएमआईएस की निगरानी की जिम्मेदारी संबंधित कुलपति की होगी। उन्हें कॉलेजों में नियमित कक्षाएं कराने, कक्षाओं में शिक्षकों व छात्रों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने, हर शिक्षक को अनिवार्य रूप से पांच घंटे अपने विभाग में बिताने और शैक्षणिक-गैर शैक्षणिक कार्यक्रमों के आयोजन का निर्देश दिया गया है। छात्रों को निर्धारित समय तक कॉलेजों या विभागों में रोकने के लिए आवश्यक कार्यक्रम तैयार किए जाएंगे।
राजभवन के साथ-साथ सरकार भी उच्च शिक्षा में गुणवत्ता लाने की योजनाओं पर गंभीर है। शिक्षामंत्री डाॅ. अशोक चौधरी ने कहा कि कॉलेजों में बेहतर शैक्षणिक माहौल बनाना आवश्यक है, ताकि उच्च शिक्षा के प्रति आम विद्यार्थी जागरूक हों। नियमित कक्षाएं होंगी तो इससे विद्यार्थियों को विषयों की समझ विकसित करने में मदद मिलेगी। विवि प्रशासन भी डिजिटल माध्यम पर मौजूद शिक्षकों की मॉनिटरिंग कर सकेगा। इसके अलावा उनसे संपर्क भी आसानी से हो जाएगा। यूएमआईएस के माध्यम से विद्यार्थियों की हर गतिविधि पर नजर रहेगी। इससे शैक्षणिक भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।

विश्वविद्यालय प्रशासन सबकी समस्याएं सुने। इसके लिए विभिन्न सेल को एक्टिवेट करने का आदेश जारी किया गया है। कुलाधिपति सह राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने विश्वविद्यालयों में पेंशन सेल, शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी शिकायत निवारण सेल गठित करने का निर्देश दिया है। इस संबंध में सभी विश्वविद्यालय प्रशासन को कार्रवाई कर राजभवन को सूचित करने के लिए कहा गया है। राजभवन में 25 जुलाई को रजिस्ट्रारों की बैठक बुलाई गई है। इसमें सभी सेल का गठन कर इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है। विवि में पेंशनरों की समस्याएं सुनने के लिए कोई पदाधिकारी तैयार नहीं होता है। रिटायर्ड शिक्षक व कर्मचारियों को अपनी समस्या के समाधान के लिए अंत में कोर्ट का सहारा लेना पड़ता है।

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