आज का क्लास: "कहानी चचा की, ज्ञानी चचा की, परम ज्ञानी चचा की, दर्द की, दुःख की..."
आज के क्लास में हम बता रहे है चचा जी की कहानी। सुन के रोयेगा नहीं। मार्मिक है, बहुत दुःख भरी है। संवेदनाओ को सिर्फ कमेंट में ही प्रगट कीजिएगा। हलकी फुलकी गालियां चलेंगी। जाफे हो तो पढ़ के मन ही मन गरिया दीजिएगा। हम बुझ जाएंगे। वैसे हमारे चचा जी भी इंजीनियर थे। एक AC की कंपनी में बजाप्ते इंटर्नशिप भी किआ था।गली के सामने वाले मुहाने पर चाचा जी निवास करते है। लोग बताते हैं प्रकांड विद्वान है। हम भी शिकार हुए है चचा का, शाम का समय था और चचा कैबिनेट का गठन कर रहे थे चाय दूकान पे।
भूगोल, इतिहास,फिजिक्स से लेकर अमेरिका के सदन तक चचा की ज्ञान का डंका बजता है।चचा का मानना है कि हमलोग मोह माया में जी रहे हैं। चारो तरफ प्रचण्ड अंधकार है कायनात में,घनघोर अज्ञानता विद्यमान है। किराना दुकान, हमारे स्कूल से लेकर हमारे कॉलेज तक सब जगह सब लोग उन्हें नीरा मूढ़ निल बट्टा सन्नाटा अज्ञानी ही अज्ञानी दीखते हैं । उन्हें लगता है अगर पुरे ब्रम्हाण्ड में कहीं कोई ज्ञानी है तो वो स्वयं हैं,कहीं कोई प्रकाश है तो वो स्वयं उनके अंदर है केवल ।
और ऐसा नहीं है कि चचा जी अकेले हैं, इनकी पूरी एक प्रजाति विद्यमान है। इनकी पूरी प्रजाति के लोग अक्सर मेरे जैसे नौजवान हैंडसम लड़कों को पकड़-पकड़कर रामायण-महाभारत,वेद आदि से उद्धृत ज्ञान की बातें करके बेइज्जती करते रहते हैं।
अगले दिन सुबह जंग के शुरुआत की दिन तय की गयी। नहा-धोकर अपने मोबाईल को चन्दन टिका लगाते हुए हनुमान चालीसा की पाठ के बाद चचा लॉग इन हुए। सोचे, क्या पोस्ट करूं आज पहला दिन है? सोचे, सबसे पहले शुभ प्रभात बोला जाए फिर लगा नहीं केवल शुभ-प्रभात नहीं इसके साथ एक दो लाइन ज्ञान की बातें भी होनी चाहिए। वही तो उनका काम है। पता नहीं कब भगवन इन्हें ज्ञान ना बाँटने के कारण सेवा निवृति की प्रक्रिया शुरू कर दे।
क्या पोस्ट करूँ?क्या पोस्ट करूँ? कौन सा गोला दागू, कौन सा अज्ञानता दूर करूँ, सोच सोच के वो कन्फ्यूज हो गए। अब उनके अंदर ठहरा ज्ञान का बवंडर और बवंडर में हवा की दिशा दशा दोनों तय करना महान से महान वैज्ञानिक को पता नहीं होता है और पता लगाना भी बहुत कंफुजिआने वाला काम होता है।
आखिर चचा ने बालविहिन टकले की आड़ में छिपे महान दिमाग की नसों को थोड़ा दबाया। नवरत्न की हलकी मालिश हुई। काफी देर के बाद नवरत्न तेल ने अपना असर दिखाया और अपने ज्ञान भंडार से दो राम चरितमानस का चौपाई पोस्ट कर दिए और कुल जमा एक सौ तीन लोगों को टैग करते हुए ।
शुभ-प्रभात अज्ञानी मित्रों !!!!बड़ भाग मानुज तन पावा। सुरदुर्लभ सब ग्रन्थ नी गावा।।देव दनुज भूपति भट नाना। समबल अधिक होउ बलवाना।।अब एक अदद लाइक्स की तलाश शुरू हुई। चचा तरसती हुई निगाहो से लाइक और कमेंट की आव्यश्यक्ता महसूस करते हुए बेचैन होने लगे। वो सोचे आज का युवा सिर्फ मूर्ख है। अंत में सिर्फ हम बचे टैग । (दिवाकर खन्ना with विफुल रंजन) हम भी ठहरे एक तो बिहारी ऊपर से महान गुगालिया। अगले बार से टैग ना होने की उम्मीद में चांप दिए बालकाण्ड वाला चार लाइन चचा के कमेंट बॉक्स में।
नाथ करहु बालक पर छोहू। सूध दूधमुख करिअ न कोहू।।मैं तुम्हार अनुचर मुनिराया। परिहरि कोपु करिअ अब दाया।।
मेरे ऊपर के दोनों चौपाइयों का शार्ट में मतलब ये हुआ की बाबा हम बच्चा हैं और हमको बख्श दीजिये प्लीज,दया कीजिये नाथ ।
शाम का समय, चचा दाखिल हुए फेसबुक पे, उनके पोस्ट पे एकमात्र मेरा लाइक और कमेंट बेसब्री से उनकी बात जोह रहा तह। उनको लगा ईगो पे। ससुरा रोज दो रुपये कक कैप्सटन पिने वाले लौंडे की इतनी औकात।
CSE लेके देहरादून की कॉलेज से इंजीनियरिंग करके अपने आप को बरका ज्ञानी समझ रहा है ससुरा। हम भी देहरेडून से किए थे ज्ञान हासिल, ससुरे को मालूम ना लगता है। चलो कोई बात नहीं अब एक पेज बनाते हैं उसी पर अपना पोस्ट डालेंगे। वाह चचा की सोच को सलाम।अबकी बार कोई सामाजिक और मूल समस्या, आम आदमी की, पर पोस्ट डालेने की सोची गयी। वो दिमाग दौड़ाए तो पता चला की आज का मूल समस्या आदमी की शारीरिक समस्या है। Health is Wealth. आज का युवा काम कर कर के वायु,विकार,रक्त-चाप आदि बीमारियो से पीड़ित हो गया है। बस क्या था स्वास्थ्य से सम्बंधित कोई पोस्ट डालने की विचार को हिलोरे मारने की पूरी छूट दी गयी।
चाचाजी योग पेडिया को दण्डवत करते हुए इंडेक्स खोले और ऊपर से खोजने लगे वायु-विकार,रक्तचाप का शीर्षक ये रहा दसवां अध्याय पृष्ठ संख्या 498। पेज पलटे अरे पृष्ठ संख्या 498 तो है नहीं। साला! मेन पृष्ठे गायब है अब पोस्ट कइसे लिखें?
अरे! हाँ! हाँ ! याद आया। चाचा जी कुरता के जेब से पेज निकाले, गैस्टिक हुई थी तो फाड़ के डाला था पॉकेटवा में, फिर सोचे इतना लम्बा कौन लिखेगा चलो फोटो खिंच के डाल देते हैं। फोटो खिंच के डाल दिए फेसबुक पर संस्कृत के एक श्लोक के साथ…
सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे संतु निर्मया...
अब चाचा जी का धैर्य जवाब दे गया सोचे क्या बात है लोग मेरा पोस्ट लाइक नहीं कर रहे ? साला कुछ तो लोचा है? हो सकता है मेरे पेज के कवर पिक का वास्तु-शास्त्र गड़बड़ रहे .. अतः वो चेक करने के लिए कवर पिक पर क्लिक किये। मोबाईल को हाथ में लेकर चारों तरफ घुमा-घुमाकर देखे। अरे, ई तो बलंडर मिस्टेक है हमरे कवर पिक में। ससुरे दीया ही नहीं है। जब दीप ही प्रज्ज्वलित नहीं होगा तो अँधेरा कइसे मिटेगा। वो तुरंत अपना कवर पिक चेंज करने का इरादा बनाते हैं।उधर से पत्नी आवाज लगाती है …. आकर खाना खा लीजिए फिर फेबुक-फुबुक करते रहिएगा। चाचाजी बोले खाते हैं भाई रुको अभी बहोत जरुरी काम है। :Oचाचाजी ‘जलता हुआ दीया’ का फोटो गूगल में सर्च करने के लिए type करते हैं
‘Burning Diya’ जैसे ही सर्च बटन दबाते हैं। सामने में दस फोटो दिया मिर्जा का बिकनी में अलग-अलग पोज में आ जाता है। तब तक उनकी पत्नी शुष्मा भी पीछे से आ जाती है। वो मोबाइल का स्क्रीन देख के चिल्ला उठती हैं, “अच्छा! तो यहाँ मटरगस्ती चल रही है बुढ़ौती में … इसलिए खाने नहीं आ रहे थे तब से बीस बार बुला चुकी। चाचा जी कुछ बोलना ही चाहते हैं की चाची का बेलन सीधे उनके थोथुना पर लगता है।
पोस्ट लिखे जाने तक चचाजी हॉस्पिटल में थे। पांच-छे टाँके भी लगे हैं लेकिन अब हालत सामान्य है…बोल रहे हैं अब कभी नहीं दुबारा आएंगे फेसबुक पर !!
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आल दी इमेजेस आर प्रॉपर्टी ऑफ़ देअर ओनर। (we owe our thanks )
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